सूर्य नमस्कार देता है सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य -रुचिता उपाध्याय

हरिद्वार। सूर्य नमस्कार योगाभ्यास की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया है। इस योगाभ्यास के करने से सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। योगाचार्या रुचिता उपाध्याय बताती हैं कि नियमित रूप से सूर्य नमस्कार के अभ्यास से मानसिक क्षमता यानि निर्णय लेने की क्षमता, नेतृत्व कौशल और आत्मविश्वास के साथ शारीरिक स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है। रुचिता आगे बताती हैं कि सूर्य नमस्कार के शक्तिशाली मंत्र सम्पूर्ण आरोग्य प्रदान करते हैं; ॐ मित्राय नम: इस मंत्र के द्वारा हम सूर्य देव से सच्चे मित्रता के भाव को प्रकट करते हैं। इस मंत्र से हमारे अंदर विश्वास जगता है कि हमें सबके साथ मित्रता की भावना रखनी चाहिए। ॐ रवये नम: सूर्य देव जो स्वयं प्रकाशवान है तथा अपने दिव्य प्रकाश से हम सभी को अभिसिंचित करते हैं। इस हस्त उत्तानासन में इन्ही आशीषों को ग्रहण करने के लिए हम शरीर को प्रकाश के स्त्रोत की ओर उन्नत करते हैं। ॐ सूर्याय नम: ईश्वर के रूप में अत्यन्त सक्रिय सूर्य के सात घोड़ों के जुते रथ पर सवार होकर सूर्य के आकाश गमन की चेतना से निकलने वाली सप्त किरणों से भू (भौतिक), भुव: (मध्यवर्ती, सूक्ष्म ( नक्षत्रीय), स्व: ( सूक्ष्म, आकाशीय), म: ( देव आवास), जन: (उन दिव्य आत्माओं का आवास जो अहं से मुक्त है), तप: (आत्मज्ञान, प्राप्त सिद्धों का आवास) और सप्तम् (परम सत्य) का नियंत्रण होता है। ॐ भानवे नम: अश्व संचालनासन की स्थिति में हम उस प्रकाश की ओर मुँह करके अपने अज्ञान रूपी अंधकार की समाप्ति हेतु प्रार्थना करते हैं। ॐ खगाय नम: आकाशगामी शक्ति के प्रति सम्मान जो समय का ज्ञान प्रदान करती है तथा उससे जीवन को उन्नत बनाने की शक्ति मिलती है। ॐ पूष्णे नम: पोषक यानि सभी शक्तियों के स्त्रोत सूर्य एक पिता की भाँति हमें शक्ति, प्रकाश तथा जीवन देकर हमारा पोषण करने और शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक शक्ति प्रदान वाले परमात्मा को साष्टांग नमस्कार। ॐ हिरण्यगर्भाय नम: भुजंगासन में हम सूर्य के प्रति सम्मान प्रकट करते है तथा यह प्रार्थना करते है कि हममें रचनात्मकता का उदय हो। ॐ मरीचये नम: पर्वतासन की स्थिति में हम सच्चे ज्ञान तथा विवके को प्राप्त करने के लिए नतमस्तक होकर प्रार्थना करते हैं जिससे हम सत् अथवा असत् के अन्तर को समझ सकें। ॐ आदित्याय नम: वह आदि रचनात्मक शक्ति है जिससे सभी शक्तियाँ नि:सृत हुई हैं। अश्व संचलानासन में हम उस अनन्त विश्व-जननी को प्रणाम करते हैं। ॐ सवित्रे नम: हस्तपादासन स्थिति में सूर्य की जीवनदायनी शक्ति की प्राप्ति हेतु सवित्र यानि सूर्य की उद्दीपन शक्ति को प्रणाम किया जाता है। ॐ अर्काय नम: हस्तउत्तानासन में हम जीवन तथा ऊ र्जा के इस स्त्रोत के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते है। ॐ भास्कराय नम: सूर्य हमारे चरम लक्ष्य-जीवनमुक्ति के मार्ग को प्रकाशित करता है। प्रणामासन में हम यह प्रार्थना करते हैं कि वह हमें यह मार्ग दिखायें। ॐ श्री सबित्रू सुर्यनारायणाय नम: सूर्य नमस्कार के चिकित्सकीय लाभों के बारे में रुचिता उपाध्याय ने बताया कि इसका अभ्यास शरीर में सभी प्रणालियों जैसे संवेदी, श्वसन, संचार, पाचन को सुचारू करने के साथ अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है। इससे विटामिन-डी प्राप्त होता है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं और आंखों की रोशनी बढ़ती है। यह वजन को कम करने में काफी मददगार होता है। सूर्य नमस्कार का प्रभाव मन पर पड़ता है, मन की एकाग्रता को बढ़ाने में बहुत मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक अध्ययन में भी सिद्द हुआ है कि सूर्य नमस्कार से फेफड़ों की कार्य क्षमता में सुधार, श्वसन दबाव, हाथ की पकड़ में वृद्धि और मानसिक शक्ति को बढ़ाने और तनाव कम करने वाले मापदंडों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।